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THE PHOTOGRAPHER

जॉर्ज जनरल के घर एक हफ्ता ठहरता है । वो जनरल को उस मशीन को केसे इस्तेमाल करना है सब बता देता मेरे पिताजी जो काफी समझदार थे और उन्हें उस कैमरे मै काफी दिलचस्पी थी जिस की वजह से जॉर्ज के जाने के बाद उन्होंने जनरल से उसको चलाना सीख लिया था अब वो वहा अपने मुनीम के काम के साथ साथ उस घर मै हर आने जाने वाले मेहमान की तस्वीर उतारते देखते देखते वो काफी अच्छे फोटोग्राफर बन गए थे । अब वहा कोई भी तकरीब या पार्टी होती तो मेरे पिताजी को ही याद किया करते सब । उधर गांव मै तो कोई उस चीज से वाकिफ नही था सब उसे जादू की मशीन समझते लेकिन अंग्रेजो के यहां उस कैमरा का काफी बोलबाला था । इसी तरह कई साल गुजर गए । हिंदुस्तानियों के दिलो मे आजादी की लहर दौड़ पड़ी थी और अब अंग्रेजो का यहां से जाने का वक्त आ चला था । ओर फिर एक दिन १५ अगस्त के दिन हमने अपना प्यारा झंडा आसमान मै लहरा दिया चारो तरफ खुशहाली ही खुशहाली थी सब एक दूसरे के गले लग रहे थे मेरे पिता भी खुश थे परंतु वो उदास भी थे क्योंकि अब वो जनरल के घर काम नही कर सकते थे । क्योंकि जनरल को भी ब्रिटेन लौटना था । मेरी उमर उस समय तुम्हारी जितनी थी । शाम को पिताजी जनरल के पास जाते हैं जनरल मेरे पिता के काम से काफी खुश था क्योंकि उन्होंने बोहोत ईमानदारी से अपना काम किया । गांव वालो के ना चाहते हुए भी उन्होंने उसके घर काम किया । रात के १० बज गए थे सारे अंग्रेज स्टेशन पर जमा हो रहे थे तभी जनरल और मेरे पिताजी जो उनके साथ स्टेशन पर आए थे उन्हें अलविदा कहने । तभी जनरल मेरे पिता को वो कैमरा देते हुए कहते है ये लो हीरा प्रसाद ये मुझे मेरे दोस्त ने दिया था और अब मै ये तुम को देता हू एक दोस्त की हैसियत से और हा ये तुम्हारे काफी काम आए गा तुम्हे तो फ़ोटो उतारने का काफी शोक है । हीरा प्रसाद ये देख भावुक हो जाते है और कहते हे मालिक आपकी बोहोत याद आयेगी तभी इतने मैं स्टेशन पर खड़ी ट्रेन सीटी बजा देती है और सब ट्रेन मै चढ़ने लगते हे जनरल और उस के घरवाले भी ट्रेन मैं बैठ जाते हैं और ट्रेन चलने लगती है । हीरा प्रसाद बाहर खड़ा हाथ हिला कर उन सब को आखरी विदाई देता हैं । ओर उदास चेहरा लिए घर आ जाता हैं । उसकी पत्नी उसे देख काफी उदास हो जाती हैं । एक दो दिन गुजर गए घर मैं जो कुछ था सब खत्म हो चला था । हीरा प्रसाद जहा कही भी काम के लिए जाता उसे अंग्रेज के यहां काम करने की वजह से कोई काम पर नही रखता था । इसी तरह एक दो दिन और गुजर गए हीरा बाहर चारपाई पर बैठा कुछ सोच रहा होता हैं की तभी उसकी नज़र कमरे मैं रखे कैमरे पर पड़ती हैं और वो उछलता हुआ कमरे से उसे उठा लता हैं । ओर अपनी पत्नी को पकड़ कर कहता हे मुझे काम मिल गया अब हम भूका नही सोएगे। ये सुन हीरा की पत्नी उससे काम का पूछती है तब वो कैमरे की तरफ इशारा करता हैं उसकी पत्नी आचंबय से पूछती हैं ये क्या हैं और ये हमे केसे खाना दे सकता है तब हीरा उसे उसके बारे मे बताता है और कहता है मे हर गली मोहल्ले मेले सर्कस मै इसे लेकर जाऊंगा और वहा लोगो के फ़ोटो बनाऊंगा । उसकी पत्नी राजी ना हुई और वहा से चली गई परंतु हीरा हार मानने वालो मे से नही था । उसने अगले दिन अपनी साइकिल उठाई और निकल पड़ा लोगो के फ़ोटो बनाने पहले तो लोग उससे दर जाते थे पर बाद मै सब समझ गए थे। इसी तरह मेरे पिताजी ने अपने काम का आगाज किया ओर फिर घर मै ही एक दूकान खोल ली । शुरु शुरु मै तो गांव वाले वहा आने से डरते थे इस लिए पीता जी दूसरे शहरों मै गांव मैं जाकर वहा लोगो के फ़ोटो खींचते । इसी तरह कई साल गुजर गए और मै जवान हो गया मुझे भी पिता जी के साथ दूकान पर बैठना अच्छा लगता था मे पीता जी के साथ अलग अलग गांव मै मेलो मै उनके साथ जाता ओर उनकी मदद करता फिर एक दिन अचानक पिताजी जी की हालत खराब हो गई उन्हे दिल का दौरा पड़ा था उन के पास थोड़ा समय था हकीम ने बताया की ये थोड़ी देर के मेहमान हैं आप जाकर इनसे मिल सकते है । मै और मेरी मां आखों मै आंसू लिए उनसे मिलने गए । वो लड़खड़ा ती जुबान मै मुझसे बोले बेटा मेरे जाने का वक्त नजदीक आ गया है मेरे पास सिर्फ एक घर एक दूकान और मेरा वो कैमरा है और तुम्हारी मां इन सब को मै तुम्हारे हवाले कर के जा रहा हू । तुम एक समझदार लड़के हो चाहो तो मेरे काम को ही आगे बढ़ाना नही  तो जो दिल चाहे करना । ये सुन हरकू कहता हे पिताजी मै घर दूकान और मां का ध्यान रखूंगा मैं आप जैसा तो फ़ोटो खेचने वाला तो नही बन सकता पर मैं उस दूकान को चलाने की पूरी कोशिश करूंगा इस के  बाद हीरा प्रसाद के प्राण उनके शरीर से निकल गए । उस के बाद ।हरकू ओर उसकी मां काफी दिन उदास रहे फिर हरकु ने अपने मरते हुए पीता से किया वादा पूरा करने के लिए उस दूकान को फिर दोबारा से खोला इसी तरह ५ साल निकल गए और अब वो एक अच्छा फ़ोटो निकलने वाला बन गया था अब लोगो मैं भी फ़ोटो उतरवाने का शोक पैदा हो गया था अब लोग कैमरे को देख कर डरते नही थे इन चंद सालो मै हरकू ने काफी नाम कमाया लोग उसकी दूकान पर लाइन लगा कर खड़े हो जाते थे कोई अपनी तस्वीर लेने आया होता हैं तो कोई वहा अपनी तस्वीर उतरवाने । ये सब बताते हुए हरकू की आंखे भर आई मोंटी ने अपने छोटे छोटे हाथो से उसके आंसू पोछते हुए कहा आप रो रहे हैं दादा जी । अरे मैं कहा रो रहा हू ये तो बस पानी है जो इन बूढ़ी आंखो से झलक आया  । फिर क्या हुआ दादा जी मोंटी ने उत्सुकता से कहा । फिर उसके बाद मैं तुम्हारी दादी से मिला । क्या दादी से मिले पर कहा मोंटी ने पूछा । रुको बताता हू हरकू कहता है । एक दिन मैं दूकान पर बैठा होता हू और अपने कैमरे की सफाई कर रहा होता हू की तभी कुछ लड़कियां मेरी दूकान पर आई और बोली क्या यही है उस तस्वीर उतारने वाले की दूकान ये सुन मै बाहर आया मै ने देखा ४ लड़कियां मेरी दूकान पर खड़ी है मेरी नजर उनमें से एक लड़की पड़ पड़ी जो काफी घबराई थी और बाकी लड़कियों से वहा से चलने का कह रही थीं । लग रहा था मानो ये घर से चोरी छुप कर आई हो क्योंकि उस समय लड़कियों को बाहर निकलने की इजाजत नही होती थीं । पर खैर उनमें से एक लड़की बोली हमे फ़ोटो बनवाना है कितने पैसे का एक फ़ोटो हैं । हरकू कहता हे १ रुपया ये सुन वो चोक गई बोली हमारे पास तो सिर्फ़ ७५ पैसे ही इकठ्ठे हो पाए । ये सुन हरकु कहता हे कोई बात नही अभी फ़ोटो बनवाले जब तस्वीर लेने आए तब बाकी दे देना ये सुन उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई । ओर ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा कभी नकद तो कभी उधार । फिर हरकु अपनी मां को रेखा के घर रिश्ते के लिए भेजता है उस समय हरकू बोहोत अच्छे पैसे कमाता था इस लिए रेखा के घरवाले ने ये रिश्ता कबूल किया और उनकी शादी हो गई ।

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